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कविता

विवाह मंगलाचरण

मुंशी रहमान खान


दोहा

नमहुँ शीश जगदीश पद छोड़ मोह मद काम।
हाथ जोरि सादर विनय सबहिं करहुँ परनाम।। 1 ।।
मनाना लाजिम है हमें धन्‍यवाद प्रभु आज।
दें आशीश वर वधू अरु युलियान गरीब निवाज।। 2 ।।
कहिहौं ईश्‍वर का सुयश मुख में सुइय लगाय।
पुनि मंगलाचरन शुभ बंधुन देहुँ सुनाय।। 3 ।।
सुनियो सज्‍जन प्रेम से ब्‍याह मंगलाचार।
होवै लेख में भूल कहिं लेवैं सुजन सुधार।। 4 ।।

 


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